अक्टूबर में वलयाकार सूर्यग्रहण होगा अंतरिक्ष में रोमांचक नजारा

वॉशिंगटन
 साल के अगले सूर्यग्रहण
में एक महीने से भी कम समय है, जो अक्टूबर की शुरुआत में होने जा रहा है। यह एक वलायाकार ग्रहण होगा जिसे 'रिंग ऑफ फायर' भी कहा जाता है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के एक सीध में आने की वजह से होती है। पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा के आने से सूर्य दिखाई देना बंद कर देता है। इसे ही सूर्यग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण तीन तरह का होता है। पहला आंशिक सूर्य ग्रहण, जब चंद्रमा सूर्य का कुछ हिस्सा ढंक लेता है। दूसरा पूर्ण सूर्यग्रहण, जब चंद्रमा सूर्य को पूरा ढंक लेता है। तीसरा होता है वलयाकार ग्रहण। इस दौरान चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है लेकिन सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढंक पाता। चंद्रमा के चारों ओर सौर डिस्क का बाहरी किनारा दिखाई देता है, जिससे यह आग के छल्ले की तरह प्रतीत होता है। इसे ही रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।

ये भी पढ़ें :  Bhent-Mulakat : अब कमल विहार कहलाएगा कौशल्या विहार, बिरगांव में खुलेगा ITI, CM भूपेश ने ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र को दी करोड़ों की सौगातें

पूर्ण सूर्यग्रहण की तरह ही रिंग ऑफ फायर यानी वलयाकार ग्रहण अमावस्या को होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के विपरीत वलयाकार ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे दूर बिंदु के पास होता है। रिंग ऑफ फायर कई चरणों से गुजरता है, जिसे पूरा होने में तीन घंटे से अधिक का समय लग सकता है। हालांकि, वास्तविक रिंग ऑफ फायर कुछ सेकंड से लेकर 12 मिनट से अधिक समय तक कहीं भी रह सकता है।

सूर्य ग्रहण कब होगा?

ये भी पढ़ें :  भारत और नेपाल में धार्मिक व मैत्री संबंध होंगे प्रगाढ़ : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

वलयाकार सूर्यग्रहण 2 अक्टूबर को होगा। इसी साल अप्रैल में हुए पूर्ण सूर्यग्रहण की तरह ही वलयाकार ग्रहण भी चरणों में होगा। अमेरिका के स्थानीय समयानुसार 11:42 बजे सुबह आंशिक ग्रहण शुरू होगा, जब चंद्रमा सूर्य के सामने से गुजरेगा। 12 बजकर 50 बजे दोपहर में वलयाकार सूर्यग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर में शुरू होगा। शाम 4:39 बजे रिंग ऑफ फायर अटलांटिक महासागर में समाप्त होगा। शाम में 5:47 बजे दक्षिणी अटलांटिक महासागर में समाप्त होगा।

रिंग ऑफ फायर कहां आएगा नजर?

इस साल रिंग ऑफ फायर दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी पश्चिमी अटलांटिक महासागर और दक्षिण अमेरिका से होकर गुजरेगा। चिली और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में यह पूरा दिखाई देगा। वहीं, हवाई एकमात्र अमेरिकी राज्य होगा। हालांकि, वहां केवल आंशिक ग्रहण ही दिखाई देगा।

ये भी पढ़ें :  मध्यप्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम में मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना की अहम भूमिका

क्या भारत में आएगा नजर?

सूर्यग्रहण केवल दिन में ही दिखाई देता है। 2 अक्टूबर को जब दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप में सूर्यग्रहण का नजारा दिख रहा होगा, उस समय भारत में रात हो रही होगी। ऐसे में वलायाकार सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। हालांकि, पूर्ण सूर्यग्रहण की तरह ही इसे भी भारत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए देखा जा सकेगा। अंतरिक्ष एजेंसियां सूर्यग्रहण या दूसरी खगोलीय घटनाओं का लाइव टेलीकास्ट करती हैं। अंतरिक्ष एजेंसियों के प्लेटफॉर्म पर इसे देखा जा सकता है।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment